यमुना किनारे बाल गोपाल

पीयूष पढ़‌ना चाहता है। अभी उसकी उम्र लगभग 7-8 वर्ष की है और वह बाल गोपाल पाठशाला में पढ़ने जाता है। यह पाठशाला दिल्ली के यमुनाखादर क्षेत्र में हैं। जो कि एक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। इस पाठशाला में पीयूष के अलावा 100 के करीब बच्चे और पढ़ने जाते हैं।

पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता कृषक मजदूर है। जो आस-पास की जमीन किराये पर या किसी जमींदार की जमीन पर दहयाड़ी मजदूरी करते हैं।

यह पाठयशाला समाज सेवी छोटे लाल द्वारा चलाया जाता है। छोटे लाल जी ने बताया की, पिछले साल बाढ़ ने उनके पाठशाला को काफी नुकसान पहुंचाया था। उनके ब्लैक बोर्ड बाढ़ में बह कर चले गये थे। जिससे उनका काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने बैंच को बांध कर रखा था जिस वजह से बाढ़ में नहीं बहे।

छोटे लाल जी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सरकार यहां पक्का स्कूल नहीं बनाती है। हाई-वे के दूसरी तरफ मयूर विहार में एक स्कूल में इन बच्चों के नाम दर्ज है। सड़क हादसों के डर के कारण छोटे बच्चों के माता-पिता उन्हें सड़क के दूसरी तरफ पढ़ने बेजने से डरते हैं।  

सर की वलास में पीयूष पिछले 1 साल से आ रहा है। अभी उसका कोई सपना नहीं है, लेकिन उसे पढ़ना है।

मैंने अपना काम पूरा कर लिया है।
पानी रे पानी तेरी रंग कैसा?

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Rahul Charas

प्रशिक्षु पत्रकार📝, भारतीय जन संचार संस्थान नई दिल्ली।