आज विश्व भर की सरकारें ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए कई सारी योजनाएं बना रहीं हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए कई संकल्प लिये जा रहे हैं। महेश नेगी जो हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बदलते पर्यावरण से प्रभावित हैं। महेश ने अपनी स्नातक की पढ़ाई शिमला से की है। उसके बाद परास्नातक में पंजाब यूनिर्वसिटी में दाखिला लेने के बाद उसे पूरा नहीं किया क्योंकि महेश ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए ही अपना आगे का जीवन देने का निर्णय लिया।
प्रश्न 1- महेश आपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपना योगदान देने का कब सोचा ?
उत्तर - बचपन में मेरे घर के सामने दिखने वाली पहाड़ी पर बर्फ दिखाई देती थी। जो आज काफी कम दिखाई दे रही है। ग्लेशियर काफी तेज़ी से पिंगल रहे है जिससे हमें पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जिसकारण मैंने सोचा कि मैं इसे कैसे बचा सकता हूँ।
प्रश्न 2- क्या आप किसी संस्थान से जुड़े हैं।
उत्तर- मैंने अर्थ एजूकेटर से एक कोर्स किया है। जिसमें मैं यूथ कंजर्वेशन एक्शन नेटवर्क जो नेशनल ज्योग्राफी द्वारा सपोर्ट किया जाता है से जुड़ा था। लेकिन अब मैं स्वतंत्र रूप में अपनी क्षमता अनुसार कार्य कर रहा हूँ।
प्रश्न 3. बदलते जलवायु के कारण आपको किन्नौर में क्या परिर्वतन दिखाई दे रहे हैं?
उत्तर जलवायु परिर्वतन के कारण हमें किन्नौर में ग्लेशियरों का समय से पहले पिघलना दिखाई दे रहा है। इस कारण पीने के पानी की भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भू-स्खलन की बढ़ती समस्या आए दिन आपदाओं का रुप ले रही हैं। पानी की कमी के कारण खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी प्राप्त नहीं हो पा रहा है। जलवायु परिर्वतन से प्राकृतिक जड़ी बूटी में भी कमी देखने को मिल रही है।
प्रश्न 4- आपको किन्नौर में जलवायु परिर्वतन के क्या कारण दिखाई दे रहे हैं?
उत्तर- किन्नौर में सबसे बड़ा जलवायु परिवर्तन का कारण जल विद्युत परियोजनाएं हैं। सरकार इमे ग्रीन योजना बताती है। मगर जब हम जमीन पर इसे देखें तो पाते हैं कि इससे पर्यावरण को कितना नुकसान हो रहा है। परियोजनाओं के कारण जंगलों की कटाई हो रही है और जब हम नदी का प्राकृतिक रास्ता रोक कर उसे टनल के जरिए किसी अन्य स्थान पर पहुंचाते है तो नदी की आसपास के वातावरण में परिर्वतन आता है। किन्नौर में' ऐसी जल विद्युत परियोजनाएँ जरूरत से ज्यादा है। जिससे हमें नदी केवल डैम के पास दिखाई देती है। और पूरी नदी भूमिगत रूप से बह रही है। परियोजनाओं में कटे पेड़ों के स्थान पर पेड़ लगाये जाते हैं। किन्तु वह यहाँ के वातावरण के अनुकुल नहीं होते जिस कारण एक भी पेड जीवित नहीं रह पाते हैं।
प्रश्न 5- आप बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए क्यों जा रहे हैं?
उत्तर- जब हम पर्यावरण संरक्षण की बात किसी से करते हैं तो ज्यादातर को पर्यावरण की चिंता है। लेकिन उन्हें अपने भविष्य के लिए एक अच्छी नौकरी ढूंढना है। हमने एक पायलट प्रोटेक्ट के तहत रक्षम और छित्तकुल गाँव के स्कूल चूना था। जिसमें हम बच्चों को शुरुआत से ही पर्यावरण के बारे में एक मनोरंजन तरीके से जागरूक कर सके और पर्यावरण संरक्षण में एक लम्बे समय के लिए गहरा प्रभाव ला सकते हैं।
प्रश्न 6- कुछ वर्ष पहले किन्नौर में # NO MEANS NO का नारा युवाओं द्वारा जल विद्युत परियोजना के विरोध में चलाया गया था। उसकी पृष्ठभूमि क्या थी ?
उत्तर- आज मेरी उम्र 30 वर्ष है और मैंने इन प्रोजेक्ट को बनते देखा है। जिसके परिणामों को हम आप झेल रहे हैं। यह नारा जो # NO MEAS NO का है इसे जंगी-ठोपन एक प्रोजेक्ट बनने जा रहा था उसके विरोध में था, जिसे वर्तमान हिमाचल सरकार ने यह कह कर रोक दिया है कि यह समय से शुरू न होने के कारण इसे नहीं बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाले गाँवों में से एक खादरा गांव है। जो पहले से ही एक परियोजना से प्रभावित है। जिस कारण वह गाँव धस रहा है। हम दूसरे गाँव में देख रहें है जिन्हें विस्थापित किया गया है किन्तु उन्हें उचित सुविधाएँ नहीं दी गई हैं। किसी गाँव में भूस्खलन की समस्या बढ़ गई है। ऐसे में यह गाँव खतरे में था। जिसे बचाने के लिए युवाओं और गाँव के लोगों ने मिलकर इसका विरोध किया था।
प्रश्न 7 - आपके अनुसार ऊर्जा के दूसरे का कौन से विकल्प आपके क्षेत्र के लिए हो सकते है?
उत्तर- सौर ऊर्जा एक विकल्प हो सकता है। जल विद्युत परियोजना से किन्नौर 3000 MW बिजली पैदा करता है। जल विद्युत परियोजना पर्यावरण में परिर्वतन कर रहा है।
प्रश्न 8- आप एक किसान भी हो, आपकी खेती जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित हो रही है?
उत्तर- हमारे क्षेत्र में सेब की मुख्य रूप से पैदावार होती है। हमारे सेब अपनी गुणवत्ता के लिए पहचाने जाते हैं। क्योंकि हमारे यहाँ उसे वैसा वातावरण मिलता है। लेकिन जलवायु परिर्वतन के कारण उसकी वह गुणवत्ता में कमी देखी जा रही है। जिस कारण उसका उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। खेतों में सिंचाई के लिए पानी की कमी देखी जा रही है।
प्रश्न 9- आप लोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर- हमने एक डिजिटल प्लेटफार्म बनाया है जिसका नाम औम (AUM) रखा है। यह एक किन्नौरी शब्द है जिसका अर्थ-रास्ता होता है। हम लोगों को इसमें सस्टेनेबल जीवन जीने की तरफ जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मेरा संदेश भी यही है कि हमें सस्टेनेबल जीवन जीना चाहिए।
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