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दिल्ली में वायु प्रदुषण की बढ़ती समस्या

देश की राजधानी में वायु प्रदुषण एक बड़ी समस्या के रूप में सामने खड़ी है। आज दिल्ली विश्व की सबसे प्रदुषित राजधानी बन गई है। दिल्ली में हर साल यह समस्या सर्दियों के मौसम में बढ़ जाती है। पिछले दो दशकों से दिल्ली में सर्दी के साथ-साथ वायु प्रदुषण भी एक मौसम बन चुका है।  इस समय पर दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगभग 380-400 के करीब रहती है। जो कि बेहद खराब की श्रेणी में आता है। इससे एक स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार हो जाता है।

इस दौरान लोगों को कई सारी परेशानियों और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें अधिकतर बच्चे, बढ़े और वे लोग जिन्हें सांस की बीमारी जैसे धमा आदि है वे अधिक प्रभावित हो रहे है। प्रदुषण से केवल अस्थमा की बीमारी ही नहीं बल्कि अन्य घातक बीमारियां जैसे स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर, क्रोनिक ऑक्सट्र‌क्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी बीमारी हो सकती है। इससे छोटे बच्चे और किशोर विशेष रूप से असुरक्षित है क्योंकि उनके शरीर के अंग और प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रहे हैं। वायु प्रदुषण बचपन में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है जिससे बाद के जीवन में एक बड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2019 में लैंसेट के एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रदुषण के कारण हो रही मृत्यु साल-दर-साल बढ़ रही है। लग भग 2.3 मिलियन लोगों की असामयिक मृत्यु प्रदुषण के कारण हुई है। जिममें से 1.6 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदुषण से हुई।

 प्रदुषण से निपटान के लिए विश्व भर की सरकारें और संस्थाएँ काम कर रही हैं। उसी तरज पर हर साल सीओपी28 का सम्मेलन किया जाता है। इस वर्ष यह सम्मेलन दुबई में 30 नवंबर में 13 दिसंबर 2023 तक हुआ। जिसमें विकासशील देशों की जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विश्व बैंक द्वारा लॉस एण्ड उमल (LDF) के लिए 420 मिलियन डॉलर जुटाना है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भता बढ़ाने का संकल्प लिया है। जिसके लिए 2050 तक पचास कम्पनी जो 40% तेल का उत्पादन करती है उन्होंने शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए खुद प्रतिबध्दता लिया है।

आज दिल्ली में वायु प्रदुषण से बचने के क्या उपाय हो सकते हैं?

अगर हम इसके विकल्प को देखें तो जैसे यूरोप में सामने आ रही 'ग्रीन पार्टी' हो सकता है। जो कि पर्यावरण के मुद्दों पर राजनीति करती है। किसी भी चुनाव में उनके मुद्दे पर्यावरण संरक्षण के लिए होते हैं। दिल्ली में राज्य और केंद्र सरकारें दो दशक से प्रदुषण को कम करने में सर्मथ नहीं हो पा रही हैं। अब दिल्ली में एक ऐसी पार्टी की आवश्यकता है जो केवल प्रदुषण के निपटान पर ही कार्य करें।

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